मुश्किलें आयीं मगर लौट गयीं उलटे पाँव कोई ऐसा भी है जो मुझको दुआ देता है!
Tag: शर्म शायरी
अपने रिश्ते में
अपने रिश्ते में कभी शक़ को न आने देना ये बिना आग ही घर बार जला देता है!
सिर्फ पछतावे के
सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो.. ऐ चाँद ले चल मुझे वहाँ जहाँ उसके सिवा कोई ना हो ।।
रात को अक्सर
रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती, घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।
उठाना खुद ही पड़ता है
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना…… कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….
मेरे बस में
मेरे बस में हो तो लहरों को इतना भी हक न दूं, लिखूं नाम तेरा किनारे पर लहरों को छुने तक ना दूं।
खुद से जीतने की जिद है..
खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है… मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…
हाथ की लकीरें
हाथ की लकीरें सिर्फ सजावट बयाँ करती है, किस्मत अगर मालूम होती तो मेहनत कौन करता।