जो मिलते हैं

जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब, हम नादान थे, एक शाम की मुलाकात को जिंदगी समझ बैठे..

रिश्ते ऐसे बनाओ

रिश्ते ऐसे बनाओ की जिसमें, शब्द कम और समझ ज्यादा हो, झगडे कम और नजरिया ज्यादा हो..

मोहब्बत भी करे

मोहब्बत भी करे और खुश भी रहे… इस नादान दिल की मासूम सी ख्वाहिश…

निकाल दिया उसने

निकाल दिया उसने मुझे अपनी जिंदगी से भीगे कागज की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा और ना जलने के…

रो लेते हैं

रो लेते हैं कभी कभी, ताकि आंसुओं को भी कोई शिकायत ना रहे।

एहसास ए मोहब्बत

एहसास ए मोहब्बत क्या है ज़रा हमसे पूछो ? करवटें तुम बदलते हो नींद मेरी उड़ जाती है …

वो अब भी

वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे, ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं !!

लिखकर गज़ल हमने

लिखकर गज़ल हमने मोहब्बत का इजहार किया, वो इतने नादान थे कि हँसकर बोले, एक ओर फरमाईय|

हमको टालने का

हमको टालने का शायद तुमको सलीका आ गया, बात तो करते हो लेकिन अब तुम अपने नहीं लगते…

वो मुझे मेहंदी लगे

वो मुझे मेहंदी लगे हाथ दिखा कर रोई, मैं किसी और की हूँ बस इतना बताके रोई!

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