अजीब सी बस्ती

अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है…

किसी न किसी

किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है, अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है, खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा, खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है !!

कदर हैं आज

फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में

अपने जलने मे

अपने जलने मे किसी को नही करता शरीक !! रात होते ही शमा को बुझा देता हूँ मै !!

वक्त अच्छा था

वक्त अच्छा था तो हमारी गलती मजाक लगती थी वक्त बुरा है तो हमारा मजाक भी गलती लगती है..

मोहब्बत से फतैह करो

मोहब्बत से फतैह करो लोगो के दिलो को, जरुरी तो नही सिकन्दर की तरह तलवार रखी जाये.

Mohabbat ke kaafile

Mohabbat ke kaafile ko kuch der to rok lo aate hain hum bhi paanv se kaante nikaalkar

रिवाज़ ही बदल गए

सुना था वफा मिला करती हैं मोहब्बत में…. हमारी बारी आई तो रिवाज़ ही बदल गए …

दिल बेजुबान है

दिल बेजुबान है तो क्या, तुम यूँ ही तोड़ते रहोगे..?!

कागज़ की नाव

बस इतनी सी बात समंदर को खल गईं, एक कागज़ की नाव मुझ पर कैसे चल गई!

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