सब्र तहज़ीब है हमारी,तुम क्या समझते हो हम बेजुबां है।
Tag: व्यंग्य
खुद को कमजोर ना समझना
खुद को कमजोर ना समझना, खुद की अंदर की ताकत कों पहचानों, फिर जिंदगी की हर जंग में फतेह तुम्हारी ही होंगी….!!
गहरी बातें समझने के लिए
गहरी बातें समझने के लिए गहरा होना जरुरी है, और गहरा वही हो सकता है जिसने गहरी चोटें खायी हो
शायद कुछ दिन और लगेंगे
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
उसने जब फूल को
उसने जब फूल को छुआ होगा होश, खुशबू के उड़ गए होंगे|
सियासत का चलन
की मुहब्बत तो सियासत का चलन छोड़ दिया, हम अगर प्यार ना करते तो हुकूमत करते…
पथ के पहचाने छूट गए
पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ साथ चल रही याद। जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला, उस उस राही को धन्यवाद।। आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद। जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला, उस उस राही को धन्यवाद।।
किसी रिश्ते का नाम
प्यार किसी रिश्ते का नाम नहीं है, ये वो रोशनी है जिसमे भगवान दिखाई देते है..
जो उड़ गये परिन्दे
जो उड़ गये परिन्दे उनका अफसोस क्या करुँ… यहाँ तो पाले हुये भी गैरो की छत पर उतरते है…
किताब बदलने की
मैं इतनी छोटी कहानी भी न था, तुम्हें ही जल्दी थी किताब बदलने की।।