जिस दिन भी तेरी याद टूट कर आती है “ऐ जान” मेरी आँखों के साथ ये बारिश भी बरस जाती है…
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अजीब सी बस्ती
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम, झांकते ज़्यादा है…
कदर हैं आज
फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में
वक्त अच्छा था
वक्त अच्छा था तो हमारी गलती मजाक लगती थी वक्त बुरा है तो हमारा मजाक भी गलती लगती है..
आधे से कुछ
आधे से कुछ ज्यादा है, पूरे से कुछ कम… कुछ जिंदगी… कुछ गम, कुछ इश्क… कुछ हम…
दिल की धडकनों
दिल की धडकनों में अचानक ये इज़ाफा कैसा….. उसके होंठो पे कहीं नाम हमारा तो नही.
ताल्लुक भी खत्म
काश..! निगाहे फेर लेने से… ताल्लुक भी खत्म हो जाते..!!
मेरा भी वक्त आएगा
छत , इतवार , परिंदे , पेड , किताब , कलम , शाम … मैंने कहा था ना मेरा भी वक्त आएगा .!!
खुल सकती हैं
खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर, लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!
अपना क्या है
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ