रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते |
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सितारे सा टूट कर
सितारे सा टूट कर गिरूँगा कहीं एक दिन, पर तेरी सारी ख्वाहिशें पूरी करके जाऊँगा !!
किसी और का हाथ
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ, वो तन्हा मिल गया कभी तो क्या जवाब दूँगा…!!
वो अब भी
वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे, ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं !!
तू जिस दिन
तू जिस दिन करेगा याद मेरी मोहब्बत को, बहुत रोयेगा उस दिन खुद को बेवफा कह के !!
कभी पास बैठ कर
कभी पास बैठ कर गुजरा तो कभी दूर रह कर गुजरा, लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा|
सच को तमीज़ नहीं
सच को तमीज़ नहीं बात करने की.. जुठ को देखो कितना मीठा बोलता है ।
एहसान जताने का हक
एहसान जताने का हक भी हमने दिया उन्हे साहिब, और करते भी तो क्या करते,प्यार था हमारा कैदी नहीं था…
खामोश रहती है
खामोश रहती है वो तितली जिसके रंग हज़ार है… और शोर करता रहा वो कौवा, ना जाने किस गुमान पर…
नज़र बन के कुछ
नज़र बन के कुछ इस क़दर मुझको लग जाओ कोई पीर की फूँक न पूजा न मन्तर काम आये…