थकता जा रहा हूँ

रोज़ रोज़ थकता जा रहा हूँ तेरा इंतज़ार करते करते, रोज़ थोड़ा थोड़ा टूटता जा रहा हूँ तुजसे एक तरफ़ा प्यार करते करते|

कभी तो खर्च कर

कभी तो खर्च कर दिया करो.. खुद को मुझ पर… तसल्ली रहें..मामूली नही है हम|

उधर कीधर कीधर से

ईधर उधर कीधर कीधर से मिले, दोस्ती के घाव जिगर विगर से मिले।

शमा बे दाग है

शमा बे दाग है जब तक उजाला न हुआ हुस्न पे दाग है गर चाहने वाला न हुआ|

जिस वक़्त दिल चाहे..

जिस वक़्त दिल चाहे… आप चले आओ मैं……. कोई चाँद पर नहीं रहता

नसीहत सभी देते हैं

नसीहत सभी देते हैं गम को भुलाने की, बताता वजह कोई नहीं मुस्कराने की…

गले मिलने को

गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं, अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं…

लाजवाब कर दिया

लाजवाब कर दिया करते हैं वो मुझे अक्सर.. जब तैयार होकर कहते हैं; कि कुछ कहो अब मेरी तारीफ़ में !

हज़ार दुख मुझे देना

हज़ार दुख मुझे देना, मगर ख़्याल रहे मेरे ख़ुदा ! मेरा हौंसला बहाल रहे ..।

अपनी तन्हाईयों को

अपनी तन्हाईयों को मैं यूँ दूर कर लेता हूँ, अपनी परछाइयों से ही गुफ्तगू कर लेता हूँ। इस भीड़ में किससे करूँ मैं दिल की बात अपने मन के अंदर ही कस्तूरी ढूँढ लेता हूँ। तेरी तकदीर से क्योंकर भला मैं रशक करूँ अपने हाथों में भी कुछ लकीरें उकेर लेता हूँ। हाथ आ जाती… Continue reading अपनी तन्हाईयों को

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