जब कभी भी

जब कभी भी ख़वाब में सहरा नज़र आया मुझे। तिश्नगी का इक नया चेहरा नज़र आया मुझे।।

परिंदों को तो

परिंदों को तो खैर रोज कहीं से, गिरे हुए दाने जुटाने हैं पर वो क्यों परेशान हैं, जिनके भरे हुए तहखाने हैं|

अक्सर ज़माना छोङ देता है

मुसीबत में तो साथ अक्सर ज़माना छोङ देता है, जो अपना है वो पहले आना जाना छोङ देता है। हमारी दास्ताने जिन्दगी इक बार जो सुन ले, तो फिर वो जिन्दगी भर मुस्कराना छोङ देता है।

जीत लेते हैं

जीत लेते हैं सैकड़ो लोगों का दिल शायरी करके..! लोगों को क्या पता अंदर से कितने अकेले हैं हम !!

तेरी हसरतें भी

तेरी हसरतें भी आ बसीं आखिर, मेरी ख्वाहिशों की यतीम कहानी में |

सामने होते हुए भी

सामने होते हुए भी तुझसे दूर रहना.. बेबसी की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी…

बुरा शख्स भी

बुरा शख्स भी भला लगता हैं,,,, इश्क शायद इसी को कहते हैं….

हमें पता है …

हमें पता है …तुम… कहीं और के मुसाफिर हो .. हमारा शहर तो.. बस यूँ ही… रास्ते में आया था..!!

चुप चुप सा है

चुप चुप सा है वो………… . . बहुत कुछ कहना होगा……शायद उसे

आईना देख के

आईना देख के, हैरत में न पड़िये साहब; . . . . आप में कुछ नहीं, शीशे में बुराई होगी!

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