लाख तलवारे बढ़ी

लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ; सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।

इश्क़ और तबियत

इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं, मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।

हिम्मत नहीं किसी में

ताकत नहीं मुज में इतनी की छीन लू दुनिया से तुजे , ऐ_सनम पर मेरे दिल से कोई तुझे निकाल दे इतनी हिम्मत नहीं किसी में ।

मजबूत सी जंजीर

कोई मजबूत सी जंजीर भेजो ….. आज फिर तुम्हारी याद पागल हो गयी है

लुटा चुका हूँ

लुटा चुका हूँ बहुत कुछ, अपनी जिंदगी में यारो; मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ।

युं तो गलत नही

युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के; लेकिन लोग… वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है…!!

हर एक लफ्ज़ का

हर एक लफ्ज़ का अंदाज बदल रखा है, इसलिए हमने तेरा नाम गज़ल रखा है…॥

पढ़ने वालों की

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में, नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!

वो जो दो पल थे

वो जो दो पल थे, तेरी और मेरी मुस्कान के बीच। बस वहीँ कहीं, इश्क़ ने जगह बना ली

हमारे महफिल में

हमारे महफिल में लोग बिन बुलाये आते है क्यू की यहाँ स्वागत में फूल नहीं दिल बिछाये जाते है

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