अगर मालूम होता

अगर मालूम होता की इतना तडपता है इश्क, तो दिल जोड़ने से पहले हाथ जोड़ लेते..

हो सके तो

हो सके तो दिलों में रहना सीखो, गुरुर में तो हर कोई रहता है…

न रुकी वक्त की गर्दिश

न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!

सियाही फैल गयी

सियाही फैल गयी पहले, फिर लफ्ज़ गले, और एक एक कर के डूब गए..

ये भी क्या सवाल हुआ

ये भी क्या सवाल हुआ कि इश्क़ कितना चाहिए, .दिल तो बच्चे की तरह है मुझे थोड़ा नहीं सब चाहिए !!

आँखों की दहलीज़ पे

आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….

आँखों की दहलीज़ पे

आँखों की दहलीज़ पे आके सपना बोला आंसू से… घर तो आखिर घर होता है… तुम रह लो या मैं रह लूँ….

कोशिश तो बहुत

कोशिश तो बहुत करता है तू की भूल जाए उसे. मगर मुमकिन कहाँ है कि आग लगे और धुंवा ना हो..

अब अपना मुझको

अब अपना मुझको कौन लगे शब्दों से प्यारा मौन लगे…..

तुम दूर..बहुत दूर हो

तुम दूर..बहुत दूर हो मुझसे.. ये तो जानता हूँ मैं… पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है.. बस ये बात तुम याद रखना…

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