कितनी अजीब जगह है

दुनिया भी कितनी अजीब जगह है; जब चलना नही आता था, तब कोई गिरने नही देता था; और जबसे चलना सिखा है, कदम कदम पर लोग गिराना चाहते है!

जीने की कुछ

जीनेकी कुछ तो वजह होनी चाहिए…..वादे ना सही.. यादे तो होनी चाहिए…….!!

आ थक के कभी

आ थक के कभी और, पास मेरे बैठ तू हमदम . . . तू खुद को मुसाफ़िर, मुझे दीवार समझ ले ।

मत दिखाओ हमें

मत दिखाओ हमें, तुम ये मुहब्बत का बहीखाता , हिसाब-ए-इश्क़ रखना, हम दीवानों को नहीं आता ….

कितनी है कातिल ज़िंदगी

कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू, मर जाते हैं किसी पे लोग जीने के लिये।

कीसीने युं ही

कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है? हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।

अक्ल बारीक हुई

अक्ल बारीक हुई जाती है, रूह तारीक हुई जाती है।

फासले इस कदर

फासले इस कदर आज है रिश्तों में, जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में

एक ही चौखट पे

एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।

हमारे बिन अधूरे तुम

हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे, कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे..

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