वो भी आधी रात

वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी …… फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?

अधूरी न लिखा कर

ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले, यू कहानिया अधूरी न लिखा कर

तुझे भी इजाजत है

सब छोड़े जा रहे है आजकल हमें,,,,, ” ऐ जिन्दगी ” तुझे भी इजाजत है,,,, जा ऐश कर…ll

यह परिणाम है

कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है , विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !

आज कल हर इंसान

“समझदार” एक मै हूँ बाकि सब “नादान”.. बस इसी भ्रम मे घूम रहा आज कल हर “इंसान”.!!

तरीके बदल जाते है

नसीहतें और दुआए बदलती नहीं है.. देने वाले लोग और तरीके बदल जाते है..

ज्यादा मुश्किल है

ज़ुबान की हिफाज़त….. दौलत से ज्यादा मुश्किल है…

बस इतना कहूगाँ

जो बुरे वक्त मेँ मेरे साथ था उनके लिए मैँ बस इतना कहूगाँ….. मेरा अच्छा वक्त सिर्फ तुम्हारे लिए होगा…..!!

Logon k liye

Kanoon to Sirf Bure Logon k liye hota hai……… Ache Log to Sharm se hi Mar jaate hai…….

ख्वाहिशों का बोझ

उनका कन्धा ना जाने ईश्वर ने कितना मजबूत बनाया है, मेरी ख्वाहिशों का बोझ उठाते हुए माँ ने कभी उफ़ तक नहीं किया….

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