तेरा इश्क जैसे

तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद। परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥

कभी जो लिखना

कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..

बड़ा अजीब सा

बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का, सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….

ये जिंदगी तेरे साथ हो …

ये जिंदगी तेरे साथ हो … ये आरजू दिन रात हो …. मैं तेरे संग संग चलूँ … तू हर सफर में मेरे साथ हो …..

आज नही तो कल

आज नही तो कल ये एहसास हो ही जायेगा….!!.. कि “नसीब वालो” को ही मिलते है फिकर करने वाले”

जिस शहर में

जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले… समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!

तुम वादा करो

तुम वादा करो आखरी दीदार करने आओगे, हम मौत को भी इंतजार करवाएँगे तेरी ख़ातिर,

इश्क़ का क्या हुआ

इश्क़ का क्या हुआ है, असर देखें; आप ही आप हैं, अब जिधर देखें!

अजीब रंगो में

अजीब रंगो में गुजरी है मेरी जिंदगी। दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए।

निकली थी बिना नकाब

निकली थी बिना नकाब आज वो घर से मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया|

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