हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं: तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए.. तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

हर एक शख्स

हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था… क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…

हाल–ए–दिल

हम लबों से कह ना पाये, उनसे हाल–ए–दिल कभी, और वो समझे नही यह ख़ामोशी क्या चीज है..

एक ठहरा हुआ

एक ठहरा हुआ खयाल तेरा, न जाने कीतने लम्हों को रफ्तार देता है..!

बोलने का अंदाज़

बोलने का अंदाज़ शायराना जरूर है… मेरा, … मगर हर दफा टूटने पर आवाज़ आये, वो आईना नहीं हूँ मैं ।

ताल्लुक भी खत्म

काश..! निगाहे फेर लेने से… ताल्लुक भी खत्म हो जाते..!!

मेरा भी वक्त आएगा

छत , इतवार , परिंदे , पेड , किताब , कलम , शाम … मैंने कहा था ना मेरा भी वक्त आएगा .!!

खुल सकती हैं

खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर, लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!

अपना क्या है

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ

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