बिकती नहीं शराब

साकी को गिला है की उसकी बिकती नहीं शराब.. और एक तेरी आँखें है की होश में आने नहीं देती.. .!”

ये क्यों कहे

ये क्यों कहे दिन आजकल अपने खराब हैं, काटों से घिर गये हैं, समझ लो गुलाब हैं।

कर रहा हूँ

कर रहा हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ…. की मंजिल भी मिलेगी … सब आज़माइशों के बाद…

हज़ारों मिठाइयाँ चखी

हज़ारों मिठाइयाँ चखी हैं मैंने लेकिन ख़ुशी के आंसू से मीठा कुछ भी नहीं..

मै सपने नही

मै सपने नही देखता . . . क्योकी अक्सर मै जो हकीकत मे करता हु . . . वो लोगो के सपने हुआ करते है . . .

किसी न किसी

किसी न किसी पे किसी को ऐतबार हो जाता है, अजनबी कोई शख्स यार हो जाता है, खूबियों से नहीं होती मोहब्बत सदा, खामियों से भी अक्सर प्यार हो जाता है !!

कदर हैं आज

फासलें इस कदर हैं आज रिश्तों में, जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में

ये आशिकों का

ये आशिकों का शहर है ज़नाब, यहाँ सवेरा सूरज से नही, किसी के दीदार से होता है !!!!!

वक्त अच्छा था

वक्त अच्छा था तो हमारी गलती मजाक लगती थी वक्त बुरा है तो हमारा मजाक भी गलती लगती है..

मोहब्बत से फतैह करो

मोहब्बत से फतैह करो लोगो के दिलो को, जरुरी तो नही सिकन्दर की तरह तलवार रखी जाये.

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