क्यूँ जहर देँ

मार देँ एक दफ़ा ही, नशीला सा कुछ खिला के… क्यूँ जहर देँ रहे हो, मोहब्बत मिला मिला के…

तन्हाई का आलम

कभी आंसू, कभी यादें, कभी तन्हाई का आलम, हुनर है इश्क का कि दिखाए क्या-क्या।

क्या खुब जवाब था

क्या खुब जवाब था एक बेटि का जब उससे पुछा गया की तेरी दुनिया कहा से शुरू होती है कहा पर खत्म.. बेटि का जवाब था.. मा की कोख से शुरू होकर, पिता के चरणो से गुजर कर, पती की खुशी के गलियो से होकर, बच्चो के सपनो को पुरा करने तक खत्म..

न “माँग” कुछ

न “माँग” कुछ “जमाने” से ” ये” देकर “फिर” “सुनाते” हैं “किया” “एहसान” “जो” एक “बार” वो “लाख” बार “जताते” “हैं” “है” “जिनके” पास “कुछ” “दौलत” ” समझते” हैं “खुदा” हैं “हम” “ऐ” “बन्दे” तू “माँग” “अपने””अल्लाह” से “जहाँ” माँगने “वो” भी “जाते” है..

मैं वो दरिया हूं

मैं वो दरिया हूं जिसकी हर बूंद भंवर है तुमने अच्छा ही किया किनारा करके

मुझे ही नहीं

मुझे ही नहीं रहा शौक़ -ए मोहब्बत वरना, तेरे शहर की खिड़कियाँ इशारे अब भी करती हैं…

में तो उसको देखकर

में तो उसको देखकर एक नज़र में ही फ़ना हो गया, न जाने रोज उसके आयने का क्या हाल होता होगा।।

लोग ही बिछड़ गए

“क्या लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में. दोस्तों. वो लोग ही बिछड़ गए. ‘जो जिंदगी हुआ करते थे !!

खुदगर्जी होती है

किसी को पाने के लिए अपनों को छोड़ना खुदगर्जी होती है मोहब्बत नहीं….

ग़रीबी देख कर

ग़रीबी देख कर घर की , वो बच्चे ज़िद नही करते वरना उम्र बच्चो की बड़ी शौकीन होती है

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