उसे भी दर्द है

उसे भी दर्द है शायद बिछड़ने का, गिलाफ वो भी बदलती है रोज तकिए का…!

शहर के परिन्दे भी

शहर के परिन्दे भी जानते है पता मेरा, बस तुम्हारे ही कदम इस चौखट पर पड़े नहीं !!

तकिये के नीचे दबा कर

तकिये के नीचे दबा कर रखे है तुम्हारे ख़याल, एक तस्वीर , बेपनाह इश्क़ और बहुत सारे साल.

सीधा साधा दीखता हूँ..

सीधा साधा दीखता हूँ.. अब रोल बदल दूंगा, जिसदिन जिद में आ गया माहौल बदल दूंगा

चीनी का दाना

तेरा ख़्याल चीनी का दाना हो जैसे.. मेरी उम्मीदें चीटियों की कतारों जैसी…

सुना था लोगों से

सुना था लोगों से वक्त बदलता है और अब . वक्त ने बताया के लोग भी बदलते है …….

मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं

मुस्कुराहटें झूठी भी हुआ करती हैं यारों..!!! इंसान को देखना नहीं बस समझना सीखो..!!!

कुछ बेरुखे रिश्तों ने

कुछ बेरुखे रिश्तों ने तोङा है हमें..!फिर पूछते हो तुम्हें हुआ क्या है…

कुछ देर तो हँस लेने दो

कुछ देर तो हँस लेने दो मुझे…. हर पल कहाँ उसे मैं भूल पाता हूँ….

हम तो मशहुर थे

हम तो मशहुर थे अपनी तनहाइयों के लिए , मुद्तों बाद किसी ने पुकारा है, एक पल तो हम रुक कर सोचने लगे, कया यही नाम हमारा है ?

Exit mobile version