घर से निकले हैं आँसुओं की तरह |
Category: Shayri-E-Ishq
हम सब बड़े हो गए
ज़िन्दगी के ब्लैक बोर्ड पर अनगिनत पेँसिलोँ को घिसते और रबर के बुरादे को झाड़ते हुए…. कितने सपने सजाते और मिटाते हम सब बड़े हो गए….
ढूंढते ही रह जाएंगे…
जागने वाले तुझे ढूंढते ही रह जाएंगे… मैं तेरे सपने में आकर तुझे ले जाऊँगा
तस्वीर रह गई बाकी
सिर्फ …. तस्वीर रह गई बाकी जिसमें हम … एक साथ बैठे हैं …॥
तु ही जीने की वज़ह
तु ही जीने की वज़ह है तु ही मरने का सबब है तु अजब है , तु गज़ब है , तु ही तब था तु ही अब है……..
वादा है तुमसे
वादा है तुमसे । दिल बनकर तुम धड़कोगे और सांस बनकर हम आएँगे।।।
नया शहर तो है
ये नया शहर तो है खूब बसाया तुमने…. क्यों पुराना हुआ वीरान जरा देख तो लो…
तेरा साया भी
तेरा साया भी पड़ जाए रूह जी उठती है, सोच तेरे आने से मंजर क्या होगा |
ऐसा नहीं है कि
ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई एब नहीं है पर सच कहता हूँ मुझमे कोई फरेब नहीं है|
अंदाज़-ऐ-क़त्ल
वो ज़हर देकर मारता तो दुनियां की नज़रों में आ जाता, अंदाज़-ऐ-क़त्ल तो देखो मुहब्बत कर के छोड़ दिया …