अजीब है ये नींदों का आना भी.. कभी मिन्नतें..कभी जबरदस्तियां..!!
Category: Shayri-E-Ishq
प्यार के रंग से सजाया
जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत,अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है..!
बड़ा मतलबी निकला
समंदर भी बड़ा मतलबी निकला, जान लेकर लहरों से कहता है,लाश को किनारे लगा दो।
थोड़ी सी तमीज़
थोड़ी सी तमीज़ मुझे भी फ़रमा मेरे मौला, रंज़िश के इस दौर मे और भी बेख़ौफ़ होता जा रहा हूँ |
जिसको भी देखा रोते हुए
जिसको भी देखा रोते हुए ही देखा… मुझे तो ये “मोहब्बत” साजिश लगती है रुमाल बनाने वालो की…
शर्तें लगाई जाती नहीं
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ…….
जुबान की हिफाज़त
जुबान की हिफाज़त दोलत से कहीं ज्यादा मुश्किल है… लोग अक्सर मुझसे पुछते हैं जगह – जगह तुम्हारी बहुत “निन्दा ” हो रही है.. और मेरा एक ही जवाब होता है …. “निन्दा ” उसी की होती है जो जिन्दा है । तारीफ तो हमेशा मरे हुये की होती है… बस अपने विश्वास में जियो..… Continue reading जुबान की हिफाज़त
यह आरजू नहीं
यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम…. न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम…. जिसको जितना याद करते हैं;… उसे भी उतना याद आयें हम…..
भाग्य रेखाओं में
भाग्य रेखाओं में तुम कहीं भी न थे प्राण के पार लेकिन तुम्हीं दीखते ! सांस के युद्ध में मन पराजित हुआ याद की अब कोई राजधानी नहीं प्रेम तो जन्म से ही प्रणयहीन है बात लेकिन कभी हमने मानी नहीं हर नये युग तुम्हारी प्रतीक्षा रही हर घड़ी हम समय से अधिक बीतते ।… Continue reading भाग्य रेखाओं में
दुवाए दिल से मिली है
हमे दुवाए दिल से मिली है,.. कभी खरीदने को जेब में हाथ नही डाला|