नजाकत तो देखिये, की सूखे पत्ते ने डाली से कहा, चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!
Category: Shayri-E-Ishq
सबके कर्ज़े चुका दूँ
सबके कर्ज़े चुका दूँ मरने से पहले, ऐसी मेरी नीयत है; मौत से पहले तू भी बता दे ज़िंदगी, तेरी क्या कीमत है।
चेहरे पर जो
चेहरे पर जो अपने दोहरी नकाब रखता हैं, खुदा उसकी चलाकियों का हिसाब रखता हैं
बेताब हम भी है..
बेताब हम भी है.. दर्द -ए -जुदाई की कसम, रोती वो भी होगी.. नज़रें चुरा चुरा के !
जमीर ही आँख नही मिलाता
जमीर ही आँख नही मिलाता वरना, चेहरा तोआईने पर टूट पड़ता है….
गम ऐ बेगुनाही के मारे है
गम ऐ बेगुनाही के मारे है,, हमे ना छेडो.. ज़बान खुलेगी तो,, लफ़्ज़ों से लहू टपकेगा.
उम्मीद से कम
उम्मीद से कम चश्मे खरीदार में आए हम लोग ज़रा देर से बाजार में आए..
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है … सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!
लिख कर बयां नही कर सकता
लिख कर बयां नही कर सकता मैं हर गुफ़्तुगू, कुछ था जो बस नज़रों से नज़रों तक ही रहा..
शायराना चाहता हूँ…
आखरी हिचकी तेरे पहलू में आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ…