इश्क़ करता हूँ

इश्क़ करता हूँ, तक़ाज़ा नहीं कर सकता मैं मेरा दामन है सो मेला नहीं कर सकता मैं इतनी फ़ुर्सत है कि इक दुनिया बना सकता हूँ पर कोई है जिसे अपना नहीं कर सकता मैं |

तुम इश्क़ की

तुम इश्क़ की खैरात दे रहे हो मुझे मैं बेवफा से दामन छुड़ा कर आया हूँ।

वो परिंदा था

वो परिंदा था, खुले आसमां में उड़ता था उसे इश्क हुआ, सुना अब जमीं पे रेंगता है..

किसको बरदाश्त है

किसको बरदाश्त है खुशी आजकल दूसरो की लोग तो मय्य़त की भीङ देखकर भी जल जाते है ||

अपनी कमजोरियो का जिक्र

अपनी कमजोरियो का जिक्र कभी न करना जमाने से. लोग कटी पतंगो को जम कर लुटा करते है !!

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये कुर्बतों की दूरी भी, वो मेरे साथ रहा पर मुझे कभी न मिला…

होगी जरूर फूंक की

होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत, वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।

वक्त सिखा देता है

वक्त सिखा देता है इंसान को फ़लसफ़ा जिंदगी का फिर नसीब क्या-लकीर क्या-और तकदीर क्या

मुस्कान के सिवा

मुस्कान के सिवा कुछ न लाया कर चेहरे पर..! मेरी फ़िक्र हार जाती है तेरी मायूसी देखकर..!!

हमें कोई ना पहचान पाया

हमें कोई ना पहचान पाया दोस्तों . . कुछ अंधे थे, कुछ अंधेरों में थे

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