इश्क़ करता हूँ, तक़ाज़ा नहीं कर सकता मैं
मेरा दामन है सो मेला नहीं कर सकता मैं
इतनी फ़ुर्सत है कि इक दुनिया बना सकता हूँ
पर कोई है जिसे अपना नहीं कर सकता मैं
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Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्क़ करता हूँ, तक़ाज़ा नहीं कर सकता मैं
मेरा दामन है सो मेला नहीं कर सकता मैं
इतनी फ़ुर्सत है कि इक दुनिया बना सकता हूँ
पर कोई है जिसे अपना नहीं कर सकता मैं
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