थी विरह की रात

थी विरह की रात वो और दर्द बेशुमार था…!!! . . रोते रोते हँस दिया न जाने कैसा प्यार था…!!!

इश्क़ नाजुक है

इश्क़ नाजुक है बहुत अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता|

नाउम्मीदी में बिखर जाओ

नाउम्मीदी में बिखर जाओ तो बटोर लो खुद को कि अँधेरी रात के हिस्से में भी एक चाँद होता है।

हम न समझे थे

हम न समझे थे बात इतनी सी , ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…

हर बात मानी है

हर बात मानी है सर झुकाकर तेरी ए ज़िन्दगी …. हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्ते मान मेरी……

ख़लिश और कशिश

ख़लिश और कशिश में ज़िन्दगी और मौत सा अंतर होता है ।

मोहब्बत करने का हुनर

चल यारा..मोहब्बत करने का हुनर सिखाता हूँ.. इश्क तुम शुरू करो निभाकर मैं दिखाता हूँ…!!

अब आ गये हैं

अब आ गये हैं आप तो आता नहीं है याद वर्ना कुछ हमको आपसे कहना ज़रूर था….!

चैन से रहने का

चैन से रहने का हमको मशवरा मत दीजिये.. मुश्किलें जिन्दगी की अब मजा देने लगी हैं!!!

मुहब्बतों के दिनों की

मुहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है , यह रूठ जायें तो फिर लौटकर नहीं आते|

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