खुदा जाने कौनसा गुनाह कर बैठे है हम कि,,, तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है|
Category: Sad Bewafa Shayri
जब तक ये दिल
जब तक ये दिल तेरी ज़द में है तेरी यादें मेरी हद में हैं। तुम हो मेरे केवल मेरे ही हर एक लम्हा इस ही मद में है । है दिल को तेरी चाह आज भी ये ख्वाब ख्वाहिश-ऐ- बर में है । मुहब्बत इवादत है खुदा की और मुहोब्बत उसी रब में है।
नशा मुझ में है
नशा मुझ में है और मुझी में है हलचल अगर होता नशा शराब में तो नाच उठती बोतल|
चराग़-ए-तूर
चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है, ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है…
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए
दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए, सामने आइना रख लिया कीजिए…
तुम्हारे बिन न जाने क्यों
तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता बड़ा दिलकश है हर मंजर मगर अच्छा नहीं लगता तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता और जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन अगर बेटी ना हो घर में घर अच्छा नहीं लगता…
ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।
ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।ये बाग़ी हो जाएं तो हराम,हलाल,जाएज़,नाजायज़ कुछ भी नहीं देखतीं।
पथ के पहचाने छूट गए
पथ के पहचाने छूट गए, पर साथ साथ चल रही याद। जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला, उस उस राही को धन्यवाद।। आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गए व्यथा का जो प्रसाद। जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला, उस उस राही को धन्यवाद।।
जो उड़ गये परिन्दे
जो उड़ गये परिन्दे उनका अफसोस क्या करुँ… यहाँ तो पाले हुये भी गैरो की छत पर उतरते है…
किताब बदलने की
मैं इतनी छोटी कहानी भी न था, तुम्हें ही जल्दी थी किताब बदलने की।।