हम मेहमान नहीं

हम मेहमान नहीं बल्कि रौनक-ऐ-महफ़िल है, मुद्दतों याद रखोगे की जिंदगी में आया था कोई!!

तुम मेरे हो

फ़क्र ये के तुम मेरे हो, फ़िक्र ये पता नही कब तक…

किसी के ज़ख्म का

किसी के ज़ख्म का मरहम, किसी के ग़म का ईलाज ।। लोगो ने बाँट रखा है मुझे.. दवा की तरह।।

सोच लो कल कहीं

सोच लो कल कहीं आँसू न बहाने पड़ जाएँ ख़ून का क्या है रगों में वो यूँही खौलता है..

अब तो शराब ही

अब तो शराब ही से बुझाने लगे हैं प्यास.. लेने लगे हैं काम यक़ीं का गुमाँ से हम..

डूब कर सूरज ने

डूब कर सूरज ने, मुझे और भी तन्हा कर दिया… . साया भी अलग हो गया,मेरे अपनो की तरह…

बहुत करीब से

बहुत करीब से अंजान बन के गुज़रे हैं वो…. जो बहुत दूर से पहचान लिया करते थे…..

मौला तू भी

मौला तू भी कमाल करता है। आँखे ब्लैक & व्हाइट देता है। और ख़्वाब रंगीन दिखाता है ।

तमाम उमर जिंदगी से

तमाम उमर जिंदगी से दूर रहे तेरी खुशी के लिए तुझसे दूर रहे अब इससे बढ़कर वफ़ा – ए -सजा क्या होगी की तेरे हो कर भी तुझसे दूर रहे ??

मुझे कुछ लिखना

मुझे कुछ लिखना नही आता बस कुछ शब्दों को संजोकर एक ही नाम लिखना आता है|

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