लिख देना एक

लिख देना एक इबादत मेरी क्रब पर यारों, मौत अच्छी है मोहोब्बत से तो !!

उसे कहना बिछडने से

उसे कहना बिछडने से, मोहब्बत तो नहीं मरती

बस ये कहकर

बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने कि, जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता….

तुझे पाने की चाहत में

तुझे पाने की चाहत में, अपने छूट गए… तुझे टूट के चाहा और चाह कर टूट गए|

आज लफ्जों को

आज लफ्जों को मैने शाम को पीने पे बुलाया है, बन गयी बात तो ग़ज़ल भी हो सकती है…

कल रात मैंने

कल रात मैंने अपने सारे ग़म, कमरे की दीवार पर लिख डाले, बस फिर हम सोते रहे और दीवारे रोती रही…

खुब चर्चे हैं

खुब चर्चे हैं खामोशी के मेरी होंठ पर ही जवाब रख लूं क्या

निकाल दिया उसने

निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!!

सुनो…तुम्हारी दो बाहें

सुनो… तुम्हारी दो बाहें मेरी जमीं… तुम्हारी दो आँखें मेरा आसमान…

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह से मेरी वो फिकर करता है अनजान बनकर ही सही पर मेरा जिकर करता है|

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