सोचता रहा गया

सोचता रहा गया होता कोई मेरा अपना ज़िन्दगी काश, क्यूँ, कभी में गुज़र गयी|

दिखते हैं पर

दिखते हैं पर नजर नहीं आते , कुछ लोग कितने दूर हो जाते हैं|

उम्र भर तुझसे

उम्र भर तुझसे बिछड़ने की कसक ही न गयी , कौन कहता है की मुहब्बत का असर ख़त्म हुआ..

बंद लिफाफे पे

बंद लिफाफे पे रखी चिट्ठी सी है ये जिंदगी.. पता नहीं अगले ही पल कौन सा पैगाम ले आये..

करीब रिश्तों के

करीब रिश्तों के बहाने सब ही आते हैं जताने आ भी जाते हैं, निभाने कम ही आते हैं|

मेरा दिल भी

मेरा दिल भी कितना भोला है टूट कर रोते हुए भी, अपने सनम की जिंदगी की ख़ुशी की दुआ मांगता हैं।

जो तस्वीर से

जो तस्वीर से गुफ़्तगू का हुनर जानते हैं, कहाँ है मोहताज वो किसी बातचीत के।

मोहब्बत सब्र के

मोहब्बत सब्र के अलावा कुछ नही…!! मैने हर इश्क़ को इंतज़ार करते देखा है…!!!

मैने कभी नहीं

मैने कभी नहीं कहा कि तू भी मुझे मेरी तरह बेपनाह प्यार कर… बस इतनी सी ख्वाहिश है मेरी….. तू मुझे और मेरे प्यार को महसूस तो कर|

तू हज़ार बार

तू हज़ार बार भी रूठी तो मना लूँगा तुझे, मगर देख,मुहब्बत में शामिल कोई तीसरा ना हो…

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