रिश्तो की जमावट

रिश्तो की जमावट आज कुछ इस तरह हो रही है, बहार से अच्छी सजावट और अन्दर से स्वार्थ की मिलावट हो रही है..

कुछ लौग ये सोचकर

कुछ लौग ये सोचकर भी मेरा हाल नहीं पुँछते.. कि यै पागल दिवाना फिर कोई शैर न सुना देँ..

वो वक्त गुजर गया

वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी मोहब्बत की आरझू थी, अब तू खुदा भी बन जाये तो में तेरा सजदा ना करू..

न जाने कहाँ गुज़रता है

न जाने कहाँ गुज़रता है अब वक़्त उनका. जिनके लिए कभी हम वक़्त से भी ज्यादा कीमती थे…..

शिकवा तो बहुत है

शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत नही कर सकता, मेरे होंठों को इजाजत नहीं तेरे खिलाफ बोलने की..

मुकम्मल हो तलाश मेरी

मुकम्मल हो तलाश मेरी, तो कोई बात बने इश्क़ में, जमीं क्या और आसमान क्या|

तेरे बाद हम

तेरे बाद हम जिसके होंगे उसका नाम मौत होगा|

दिल पे जो गुजरी

दिल पे जो गुजरी बताया नहीं तुझको मैंने कितने खत अब भी तेरे नाम लिखे रखे हैं|

हाल मीठे फलों का

हाल मीठे फलों का मत पूछिए जनाब रात दिन, चाकु की नोंक पे रहते हैं….

ये कैसी बेचैनी है

ये कैसी बेचैनी है , दिल में है वो मगर , फिर भी उनसे मिलने को, होती बेचैनी है !

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