अब और नही

अब और नही होती इश्क की गुलामी यारो….. अब कह दो उससे हो जाये जिसका होना चाहेँ..

फासला रख के

फासला रख के क्या हासिल कर लिया तुमने, रहते तो आज भी तुम मेरे दिल में ही हो…!!!

सीख कर गयी है

सीख कर गयी है वो, मोहब्बत मुझसे । जिस से भी करेगी, बेमिसाल करेगी।

ज़िन्दगी जा रही हो

इत्तेफाकन मिल जाते हो जब तुम राह में कभी, यूँ लगता है करीब से ज़िन्दगी जा रही हो जैसे…!!

ना हवाओं ने बख्शा

ना शाख ने जगह दी ना हवाओं ने बख्शा. वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता

मिलेंगे मुझसे वक्त लेकर

इन्कार है जिन्हे आज मुझसे मेरा वक्त देखकर, मै खूद को इतना काबील बनाउंगा वो मिलेंगे मुझसे वक्त लेकर

अजीब किस्सा है

अजीब किस्सा है जिन्दगी का, अजनबी हाल पूछ रहे हैं… और अपनो को खबर तक नहीं.

फूलो से क्या

फूलो से क्या दोस्ती करते हो, फूल तो मुरझा जाते है. अगर दोस्ती करनी है तो कॅंटो से करो, क्यूकी वो चुभ कर भी याद आते

रिश्तो की रस्सी

रिश्तो की रस्सी कमजोर तब हो जाती है जब इन्सान “गलत फहमी”मे पैदा होने वाले सवालो के “जवाब” भी खुद बना देता है ।

लेकिन सर झुकाके

समंदर बनके क्या फायदा, बनना है तो तालाब बनो… जहाँ शेर भी पानी पीता है, लेकिन सर झुकाके.

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