जिंदगी मेरे कानो मे

जिंदगी मेरे कानो मे अभी होले से कुछ कह गई, उन रिश्तो को संभाले रखना जिन के बिना गुज़ारा नहीं होता|

तुम एक बार

सुनो ! तुम एक बार पुछ लो की कैसा हुँ, घर में पडी सारी दवाइयाँ फेंक ना दू तो कहना…

हमने उसको वहाँ भी

हमने उसको वहाँ भी जाकर माँगा था,जहाँ लोग सिर्फ अपनी खुशियां मांगते है|

ये जिंदगी और सजा

मोहब्बत तो खूब करती ये जिंदगी और सजा भी खूब देती है जैसे बादाम के शर्बत में मिर्च काली मिला दी हो उसने|

जरुरत पे हीं

जरुरत पे हीं याद आती है मेरी मैं आपातकालीन खिड़की हूँ जैसे|

एक ही काफी है

दुआ तो एक ही काफी है गर कबूल हो जाए, हज़ारों दुआओं के बाद भी मंजर तबाह देखे हैं ।

क्या करेंगे मुस्कुराहट को

क्या करेंगे मुस्कुराहट को ले कर अब तो बरसो से गम की बरसात में जीने की आदत सी ही गई है|

अंधों को दर्पण

अंधों को दर्पण क्या देना, बहरों को भजन सुनाना क्या.? जो रक्त पान करते उनको, गंगा का नीर पिलाना क्या.?

कहते है के

कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|कहते है के पैसा बोलता है हमने पैसे को बोलते तो नहीं देखा पर कई यो को चुप करवाते जरूर देखा है|

न जाने क्या

न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे पर, तेरे सामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है …!!!..

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