सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें , इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
Category: Love Shayri
नया कुछ भी नहीं
है नया कुछ भी नहीं क्यूं इस क़दर हैरां हुए, साथ चलने को तुम्हारे,अय मियाँ कोई नहीं
अर्थ लापता हैं
अर्थ लापता हैं या फिर शायद शब्द खो गए हैं, रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ इरशाद होते होते….
आसमाँ की बुलंदी से
तुम आसमाँ की बुलंदी से जल्द लौट आना हमें ज़मीं के मसाइल पे बात करनी है..!
घरों पे नाम थे
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला…!
उदासी पूछती है
गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है.. इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
रूठ जाते हैं
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम असल में उन्ही से रिश्ते गहरे होते हैं…
उदासी पूछती है
गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है… इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
हम-सफ़र चाहिए
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं.. इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे..
झूठी तसल्ली को कहा था
वो तो बस झूठी तसल्ली को कहा था तुम से हम तो अपने भी नहीं, ख़ाक तुम्हारे होते