गुज़रे इश्क़ की

गुज़रे इश्क़ की गलियों से और समझदार हो गए, कुछ ग़ालिब बने यहाँ कुछ गुलज़ार हो गए।

शाम महके तेरे

शाम महके तेरे तसव्वुर से, शाम के बाद फिर सहर महके..

ये ना समझना कि

ये ना समझना कि खुशियो के ही तलबगार है हम.. तुम अगर अश्क भी बेचो तो उसके भी खरीदार है हम..

अजब हाल है

अजब हाल है, तबियत का इन दिनो, ख़ुशी ख़ुशी नहीं लगती और गम बुरा नहीं लगता !!

रो पड़ा वो

रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते, जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!

लफ़्ज लफ़्ज जिसका

लफ़्ज लफ़्ज जिसका खुशनूमां बोलता हैं समझ लो वोह शख्स उर्दू जुबां बोलता है

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा

ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद ….

बदन के घाव दिखा कर

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है, सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!

हमने मोह्हबत के नशे में

हमने मोह्हबत के नशे में उसे ख़ुदा बना डाला , और होश तो जब आया जब उसने कहा , ख़ुदा किसी एक का नहीं होता।।

रहेगा किस्मत से

रहेगा किस्मत से यही गिला जिन्दगी भर, कि जिसको पल-पल चाहा उसी को पल-पल तरसे…

Exit mobile version