लगाकर आग दिल में अब तुम चले हो कहाँ…. अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और भी होगा |
Category: Hindi Shayri
आशियाने बनाए भी
आशियाने बनाए भी तो कहाँ बनाए जनाब…. ज़मीने महँगी होती जा रही है और दिल में जगह लोग देते नहीं है|
लाजवाब कर दिया
लाजवाब कर दिया करते हैं वो मुझे अक्सर.. जब तैयार होकर कहते हैं; कि कुछ कहो अब मेरी तारीफ़ में !
हज़ार दुख मुझे देना
हज़ार दुख मुझे देना, मगर ख़्याल रहे मेरे ख़ुदा ! मेरा हौंसला बहाल रहे ..।
जिस दम तेरे
जिस दम तेरे कूचे से हम आन निकलते हैं, हर गाम पे दहशत से बे-जान निकलते हैं…
ख़ामोशी छुपाती है
ख़ामोशी छुपाती है ऐब और हुनर दोनों , शख्सियत का अंदाज़ा गुफ्तगू से होता है ..!!
हाथ गर खाली हो
हाथ गर खाली हो, तो ये ध्यान रखना … घर जो लौटो, तो होठों पर मुस्कान रखना ..
मुझे मजबूर करती हैं
मुझे मजबूर करती हैं यादें तेरी वरना… शायरी करना अब मुझे अच्छा नहीं लगता।
उसको मालूम कहाँ
उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी, वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी, वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे, पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…
हम रोऐ भी …
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके…. और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई