तुझे रात भर

तुझे रात भर ऐसे याद किया मैंने… जैसे सुबह इम्तेहान हो मेरा ।

सवाल ये नहीं

सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है … सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है…!!

ये जरूरी तो नहीं

ये जरूरी तो नहीं कि उम्र भर प्यार के मेले हों हो सकता है कभी हम तुम अकेले हों.

ज़ुल्फ़-ए-दराज़

यार का ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में लो आप अपने दम में सय्याद आ गया..

जिंदा रहने पे

जिंदा रहने पे तवज्जो ना कोई मिल पाई.. कत्ल होके मै,,, एक शहर के अखबार में हूँ..

मोहब्बत ही में मिलते हैं

मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम, मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है !!

शायराना चाहता हूँ…

आखरी हिचकी तेरे पहलू में आये मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ…

बेच डाला है

बेच डाला है, दिन का हर लम्हा; रात, थोड़ी बहुत हमारी है!

वो जब पास मेरे होगा

वो जब पास मेरे होगा तो शायद कयामत होगी…., अभी तो उसकी शायरी ने ही तवाही मचा रखी है.

आया था किस काम से

आया था किस काम से, तू सोया चादर तान। सूरत संभाल ए गाफिल, अपना आप पहचान।।

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