कोई ज़हर कहता है कोई शहद कहता है…. दोस्त, कोई समझ नही पाया ज़ायका मोहब्बत का ।
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गुज़र जायेगी ये
गुज़र जायेगी ये ज़िन्दगी उसके बगैर भी.. … वो हसरत-ऐ-ज़िन्दगी है, शर्त-ऐ-ज़िन्दगी तो नहीं ।
बहुत ख़ास थे कभी
बहुत ख़ास थे कभी नज़रों में किसी के हम भी; मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर कहाँ लगती है…
माला की तारीफ़ तो
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं.. काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
ये दुनियाँ ठीक
ये दुनियाँ ठीक वैसी है जैसी आप इसे देखना पसन्द करते हैं। यहाँ पर किसी को गुलाबों में काँटे नजर आते हैं तो किसी को काँटों में गुलाब !!
हमेशा नहीं रहते
हमेशा नहीं रहते सभी चेहरे नक़ाबों में, हर इक क़िरदार खुलता है, कहानी ख़त्म होने पर…!!
मयखाने से पूछा
मयखाने से पूछा आज,इतना सन्नाटा क्यों है, . मयखाना भी मुस्कुरा के बोला, लहू का दौर है, साहेब अब शराब कौन पीता है…..!!……..
तू याद रख या
तू याद रख या ना रख, तू ही याद हे, ये याद रख….
ख्वाइश बस इतनी
ख्वाइश बस इतनी सी है कि तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह – वाह करें…!!
ना मुमकिन है
ना मुमकिन है इसको समझना, दिल का अपना ही मिज़ाज़ होता है..!!