एक पहचानें कदमों की

एक पहचानें कदमों की आहट फिर से लौट रही है, उलझन में हूँ जिंदगी मुस्कराती हुई क्यूँ रूबरू हो रही है…

हर रोज़ दरवाजे

हर रोज़ दरवाजे के नीचे से सरक कर आती है सारे जहान की ख़बरें… एक तेरा हाल ही जानना इतना मुश्किल क्यूं है…

रूह तो जिसकी थी

रूह तो जिसकी थी वो ले गया,जिस्म के दावेदार यहाँ हज़ारों हैं!

ज़हर लगते हो

ज़हर लगते हो तुम मुझे जी करता है खा कर मर जाऊँ!

यादों की हवा

यादों की हवा चल रही है शायद आँसुओं की बरसात होगी!

आप हमें समझते है ……

हम वो नहीं जो आप हमें समझते है …… हम वो है जो आप समझ ही नहीं पाते है …….

मैं पेड़ हूं

मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,फिर भी हवाओं से,, बदलते नहीं रिश्ते मेरे

वो भी ना भूल पाई

वो भी ना भूल पाई होगी मुझे… क्योंकि बुरा वक्त सबको याद रहता हैं।

एक जुल्म ही तो है

एक जुल्म ही तो है इंसानों पर, जिसे लोग मोहब्बत कहते है !!

माना उन तक पहुंचती

माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी, मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम….!!!

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