तुझसे अच्छे तो जख्म हैं

तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ

क्या करूंगा मैं

क्या करूंगा मैं तेरे शीशमहल में आकर…..! जितने तेरे आईने हैं, उतने मेरे चहेरे भी नहीं…..!!

सोचो तो क्या लम्हा

सोचो तो क्या लम्हा होगा, बारिश……छतरी…तुम…और मैं…..!!!!

कभी कभार की

कभी कभार की मुलाक़ात ही अच्छी है, कद्र खो देता है रोज रोज का आना जाना !!

आज उस हद तक

आज उस हद तक सिर्फ दर्द ही दर्द है…. जिस हद तक उससे मोहब्बत की थी….

मेरे वजूद को

मेरे वजूद को दामन से झाड़ने वाले नासमझ, जो तेरी आखिरी मंजिल है वो ही मिट्टी हूँ मैं…

अब मज़ा आने लगा है

अब मज़ा आने लगा है तीरों को देखकर । दुआ है तेरे तरकश में तीर कभी कम न हों ।

मैं दाने डालता हूँ

मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के…… लफ्ज़ कबूतर से चले आते हैं….

जिंदगी की राहों में

जिंदगी की राहों में मुस्कराते रहो हमेशा ! क्योंकि, उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, पर, हमसफ़र नहीं !

मैं एक ताज़ा कहानी

मैं एक ताज़ा कहानी लिख रहा हूँ,मगर यादें पुरानी लिख रहा हूँ …

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