मैंने करवट बदल के भी देखा है… उस तरफ भी तेरी जरुरत है….
Category: शायरी
फितरत किसी की
फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब… के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…
सिमटते जा रहे हैं
सिमटते जा रहे हैं दिल और ज़ज्बातों के रिश्ते । सौदा करने में जो माहिर है बस वही कामयाब है।
साज़िशें लाखों बनती हैं
साज़िशें लाखों बनती हैं, मेरी हस्ती मिटाने की! बस दुआएँ मेरी माँ की, उन्हें मुकम्मल होने नहीं देतीं।
तुझसे मोहब्बत के लिए
तुझसे मोहब्बत के लिए तेरी मौजूदगी की जरूरत नही,. ज़र्रे-ज़र्रे में तेरी रूह का अहसास होता है|
इस तरह अंदाज़ा लगा
इस तरह अंदाज़ा लगा …. उसकी कड़वाहटों का, आख़री ख़त तेरा दीमक से भी खाया न गया…!!!
रात थी और स्वप्न था
रात थी और स्वप्न था तुम्हारा अभिसार था ! कंपकपाते अधरद्व्य पर कामना का ज्वार था ! स्पन्दित सीने ने पाया चिरयौवन उपहार था , कसमसाते बाजुओं में आलिंगन शतबार था !! आखेटक था कौन और किसे लक्ष्य संधान था ! अश्व दौड़ता रात्रि का इन सबसे अनजान था ! झील में तैरती दो कश्तियों… Continue reading रात थी और स्वप्न था
सज़ा ये दी है
सज़ा ये दी है कि आँखों से छीन लीं नींदें , क़ुसूर ये था कि जीने के ख़्वाब देखे थे|
मालूम हमें भी है
मालूम हमें भी है बहुत से तेरे किस्से, पर बात हमसे उछाली नहीं जाती..
लफ़्ज़ों की प्यास
लफ़्ज़ों की प्यास किसे है… मुझे तो तेरी खामोंशियों से भी इश्क है|