रात तो आसानी से

दिललगी मै वक़्त-ए-तन्हाई ऐसा भी आता है, रात तो आसानी से गुजर जाती है, मगर अँधेरे नही जाते!!

कांच की गुडिया

कांच की गुडिया ताक में कब तक सजाये रखेंगे, आज नहीं तो कल टूटेगा, जिसका नाम खिलौना है..!!

मैं पूछता रहा

मैं पूछता रहा और फ़िर.. इस तरह मिली वो मुझे सालों के बाद । जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद ।। मैं पूछता रहा उस से ख़तायें अपनी । वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद ।।

मैं अपनी चाहतों का

मैं अपनी चाहतों का हिस्सा जो लेने बैठ जाऊं, तो सिर्फ मेरा याद करना भी ना लौटा सकोगे ।

हम उल्फ़त के बंदे

नहीं दैर-ओ-हरम से काम, हम उल्फ़त के बंदे हैं वही काबा है अपना, आरज़ू दिल की जहाँ निकले

आँखो के नीचे

आँखो के नीचे.. ये काले निशान.. सबूत है… राते..खर्च की है..मैने तुम्हारे लिये…!!

अजीब मुकाम पे ठहरा

जीब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का, सुकून ढूंढने चले थे,नींद ही गवा बैठे..

इश्क़ वो है

इश्क़ वो है, जब मैं शाम होने पर मिलने का वादा करूँ, और वो दिन भर सूरज के होने का अफ़सोस करे…..

चाहतों के सारे

चाहतों के सारे समंदर डूब जाते है इसमें मान लू कैसे ये आँसू जरा सा पानी है।।

जब भी हम

जब भी हम किसी को कहने अपने गम गए । होठों तक आते आते, अल्फाज जम गए ।

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