सजदों में भीगती है जिनकी आखे वो लोग छोटी बातो पर रोया नहीं करते |
Category: शर्म शायरी
अजीब हैं इस दुनिया का
अजीब हैं इस दुनिया का दस्तूर… लोग इतनी जल्दी बात नहीं मानते, जितनी जल्दी बुरा मान जाते हैं..!
इंसान बनने की फुर्सत
इंसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…
न जाने किसका
न जाने किसका मुक़द्दर संवरने वाला है वो किताब में एक चिट्ठी छुपा के निकली है|
वक़्त किसी का ग़ुलाम
लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है|
मैं चरागों की भला
मैं चरागों की भला कैसे हिफाज़त करता , वक़्त सूरज को भी हर रोज़ बुझा देता है..
हुस्न भी तेरा
हुस्न भी तेरा, अदाएं भी तेरी, नखरे भी तेरे, शोखियाँ भी तेरी, कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे…
तेरी खूबसूरती जैसे ….
तेरी खूबसूरती जैसे …. बारिश के बाद पत्तों पर ठहरा हुआ पानी …..
अंदाज़ अपना देखते है
अंदाज़ अपना देखते है आईने में वो और ये भी देखते है कोई देखता ना हो ..
मेरी उम्र का अंदाज़
मेरी उम्र का अंदाज़ मेरे तज़ुर्बे से लगाना, मैंने सावन कम देखे होंगे पर बारिशें खूब देखी है।