छोटी सी लिस्ट है मेरी “ख़्वाहिशों” की पहले भी तुम और आख़िरी भी तुम
Category: वक़्त शायरी
मेरे पत्थर के
हाथ मेरे पत्थर के, पत्थर की हैं मेरी उंगलियां, दरवाज़ा तेरा काँच का, मुझसे खटखटाया न गया…
तू जिंदगी में आई
दोनों ही बातों से तेरी एतराज है मुझको.. क्यों तू जिंदगी में आई और क्यों चली गई..
कोई ताल्लुक़ तो है
मेरी आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है, तसवुर में जब भी आते हो…चेहरा खिल सा जाता है…
बैठे थे अपनी
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे, आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
समझ नहीं पाता
किसी ने ज़हर कहा है किसी ने शहद कहा कोई समझ नहीं पाता है ज़ायका मोहब्बत का
गिल़ा भी किससे करें
करें किसका एतबार यहाँ, सब अदाकार ही तो हैं… और गिल़ा भी किससे करें, सब अपने यार ही तो है ।
रास्ता भटक जाए
ये मोहब्बत की राहें भी अजीब होती है,, एक रास्ता भटक जाए तो दुसरे की मंजिल खो जाती है
तेरी तारीफ में
सोचता हू तेरी तारीफ में कुछ लिखु…. फिर खयाल आया की कही पढने वाला भी तेरा दिवाना ना हो जाए….!!
तुम्हारा नाम मेरी दीवार
मेरी गली के बच्चे बहुत शरारती हैँ, आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये…….