तू तो नफ़रत

तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत के साथ, जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया |

सलीका ही नहीं

सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है

बुरे दिनों में

बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश

इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है

इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद, अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता. !!

मोहब्बत केअफसानें

अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के अफसानें हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल की खुदा जाने..”

जो निगाह आज

जो निगाह आज मुझे देख कर झुक गई,, यकिनन उसने मुझे कभी चाहा जरुर होगा|

मैं वक्त बन जाऊं

मैं वक्त बन जाऊं, तु बन जाना कोई लमहा। मैं तुझमे गुजर जाऊं , तु मुझमे गुजर जाना।।

दो अक्षर की

दो अक्षर की मौत और तीन अक्षर के जीवन में, ढाई अक्षर का दोस्त हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं…..

कितनी ज़ालिम है

ये बारिश भी कितनी ज़ालिम हे जो यूँ ही आकर चली जाती है… .. याद दिलाती है मेरे मेहबूब की.. और भिगोकर मुझे चली जाती है……

मिट जाते है वो

मिट जाते है वो औरों को मिटाने वाले..! लाश कहा रोती है, रोते है जलाने वाले..!!!

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