हर मर्ज़ का इलाज़

हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में … मोहब्बत का नाम लिया, दवाख़ाने बन्द हो गये…

जिस कदर मेरी

जिस कदर मेरी ख्वाहिशों की पतंग उड़ रही है, एक न एक दिन कटकर लूट ही जानी है|

आँधियों जाओ अब करो

आँधियों जाओ अब करो आराम, हम खुद अपना दिया बुझा बैठे

बदल जाती हो तुम …

बदल जाती हो तुम कुछ पल साथ बिताने के बाद…… यह तुम मोहब्बत करती हो या नशा…

समंदर बेबसी अपनी

समंदर बेबसी अपनी किसीसे कह नहीं सकता, हजारों मील तक फैला है फिर भी बह नहीं सकता !!

पहले ढंग से

पहले ढंग से तबाह तो हो ले मुफ़्त में उसे भूल जाएँ क्या …

कुछ तो सम्भाला होता..

कुछ तो सम्भाला होता…. मुझे भी खो दिया तुमने…..

बेताबी उनसे मिलने की

बेताबी उनसे मिलने की इस क़दर होती है हालत जैसी मछली की साहिल पर होती है

वक़्त को मेरी फ़िक्र थी..

वक़्त को मेरी फ़िक्र थी.. उसे शायद ये पता नहीं था.. की वो भी गुज़र रहा है..!!

हमने तुम्हें उस दिन से

हमने तुम्हें उस दिन से और ज़्यादा चाहा है, जबसे मालूम हुआ के तुम हमारे होना नहीं चाहते..

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