ज़ख़्मों के बावजूद

ज़ख़्मों के बावजूद मेरा हौसला तो देख…. तू हँसी तो मैं भी तेरे साथ हँस दिया….!!

आग पर चलना पड़ा है

आग पर चलना पड़ा है तो कभी पानी पर गोलियां खाई हैं फ़नकारो नै पेशानी पर

खुबसूरती से धोका ना खाईए

खुबसूरती से धोका ना खाईए साहब… तलवार कितनी भी खुबसूरत हो मांगती तो खून हि है…

हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई

हर आरज़ू मेरी ख़त्म हुई एक जुस्तजू पे आकर………!फिर चाहे इंतज़ार-ए-इश्क़ हो; या हो दीदार तेरा……….!!

काग़ज़ी फूल भी

काग़ज़ी फूल भी महकते हैं… कोई देता है जब मोहब्बत से..!!!

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…..

मुझे तूं कुछ यूँ चाहिए…… जैसे रूह को शुकुन चाहिए.

बदनसीब मैं हूँ

बदनसीब मैं हूँ या तू हैं, ये तो वक़्त ही बतायेगा…बस इतना कहता हूँ,अब कभी लौट कर मत आना…

मौसम की पहली बारिश

मौसम की पहली बारिश का शौक तुम्हें होगा. हम तो रोज किसी की यादो मे भीगें रहते है..!

उनका इल्ज़ाम लगाने का

उनका इल्ज़ाम लगाने का अन्दाज़ गज़ब था… हमने खुद अपने ही ख़िलाफ,गवाही दे दी..

चाँदी उगने लगी हैं

चाँदी उगने लगी हैं बालों में उम्र तुम पर हसीन लगती है|

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