पेड़ बूढ़ा ही सही घर मे लगा रहने दो फल ना सही छाँव तो देगा
Category: व्यंग्य
मेट्रो सा गुमनाम
तुम स्टार प्लस सी मशहूर……..!! मैं डीडी मेट्रो सा गुमनाम……..!!
खामोश सी रही
जुबान मेरी खामोश सी रही और अंगूठे तुमसे बतियाते रहे..!!!
Jawab Aankhon Main
Mere Saaray Sawal Honton Par… Us Kay Saaray Jawab Aankhon Main…☆☆
Dua Main Wo
Bad’ dua main wo hunar kahan Allah ney jo duaon me namaza hai
हर रात एक
हर रात एक नाम याद आता है, कभी कभी सुबह शाम याद आता है, सोच रहा हू कर लूँ दूसरी मोहब्बत, पर फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है..!!
चेहरे गुलाब नहीं होते
जाने क्यूँ अब शर्म, से चेहरे गुलाब नहीं होते। जाने क्यूँ अब, मस्त मौला मिजाज नहीं होते। पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें। जाने क्यूँ अब चेहरे, खुली किताब नहीं होते।
तारीफ़ करें खुदा
औकात क्या जो लिखूं नात आका की शान में। खुद तारीफ़ करें खुदा मुस्तफ़ा की कुरान में। और कीड़े पड़ेंगे देखना तुम उसकी ज़बान में। गुस्ताख़ी करता हैं जो मेरे आका की शान मे।
मुझे भी कुछ
मुझे भी कुछ गहरा सा..!! . . ऐ बेवफा . . जिसे कोई भी पढे., समझ बस तुम सको..!!
वक्त जरूर लगा
वक्त जरूर लगा पर मैं सम्भल गया क्योंकि। मैं ठोकरों से गिरा था किसी के नज़रों से नहीं।।