सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
Category: व्यंग्य शायरी
क्या करना करेडों का
क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।
पापा आपके नाम से
पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|
आवाज़ बर्तनों की
आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे, बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….
ऐसी भी अदालत है
ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है, महदूद नहीं रहती वो सिर्फ़ बयानों तक
ग़नीमत है नगर वालों
ग़नीमत है नगर वालों लुटेरों से लुटे हो तुम, हमें तो गांव में अक्सर, दरोगा लूट जाता है|
प्यार की फितरत भी
प्यार की फितरत भी अजीब है यारा.. बस जो रुलाता है उसी के गले लग कर रोने को दिल चाहता है
आपके ही नाम से
आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”. भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
सहम उठते हैं
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरजू ये है कि बरसात तेज हो।
मोहब्बत का कफ़न दे
मोहब्बत का कफ़न दे दो तो शायद फिर जनम ले ले !! अभी इंसानियत की लाश चौराहे पे रक्खी है !!