नज़र उसकी चुभती है

नज़र उसकी चुभती है दिल में कटार की तरह तड़प कर रह जाता हूँ मैं किसी लाचार की तरह उसकी मुलाकात दिल को बड़ा सुकून देती है उससे मिल कर दिन गुज़रता है त्योहार की तरह|

यूँ असर डाला है

यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनियाँ पर कि… हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा

किसी को घर से

किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंज़िल, कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा । कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे, तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा ।

आखिर कैसे भुला दे

आखिर कैसे भुला दे हम उन्हें….! मौत इंसानो को आती है यादो को नहीं……

मैं वक़्त की दहलीज़ पे

मैं वक़्त की दहलीज़ पे ठहरा हुआ पल हूँ, क़ायम है मेरी शान कि मैं ताजमहल हूँ !

ज़िंदगी अमल के

ज़िंदगी अमल के लिए भी नसीब हो , ये ज़िंदगी तो नेक इरादों में कट गई |

हम कितने दिन जिए

हम कितने दिन जिए ये जरुरी नहीं हम उन दिनों में कितना जिए ये जरुरी है|

इस दुनिया में

इस दुनिया में यूँ तो कसमें बहोत लोग खाते है, सिर्फ कुछ लोग ही दिल-ओ-जान से निभाते है !!

गुज़र जाते हैं ….

गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें . यूं ही मुसाफिरों की तरह यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह….

जो कहता है

जो कहता है कि वह बिल्कुल मजे में है वह या तो फकीर है या फिर नशे में है !!

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