क्या पूछता है हम से तू ऐ शोख़ सितमगर, जो तू ने किए हम पे सितम कह नहीं सकते…
Category: बेवफा शायरी
मय को मेरे
मय को मेरे सुरूर से हासिल सुरूर था, मैं था नशे में चूर नशा मुझ में चूर था…
तुझे पाने की चाह
तुझे पाने की चाह में इतना कुछ खोया है….. की अब तू मिल भी जाए तो भी अफ़सोस होगा….
जो उनकी आँखों से
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं, वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
दुआ जो लिखते हैं
दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|
तुझे याद कर लूं
तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है सुकून दिल को,मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता है..
काश नासमझी में
काश नासमझी में ही बीत जाए.! ये ज़िन्दगी… समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया..!!
हम जिंदगी में
हम जिंदगी में बहुत सी चीजे खो देते है, नहीं जल्दी बोल कर और हाँ देर से बोल कर..
कुछ कहते खामोशियों से
कुछ कहते खामोशियों से कुछ नजरों से बतियाते है चन्द गुजरे लम्हे है ये, कुछ रोते कुछ मुस्काते है बस यही हिसाब है तेरा, कोई आना कोई जाना है गुजर जानी है जिंदगी , याद रहनी मुलाकाते है।
दिल का दर्द है
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो, कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये