क्या बतायें हमारी निगाह

क्या बतायें हमारी निगाह में क्या हो तुम!! खुदा का डर है वरना कह दें,खुदा हो तुम!

बहते हैं आँसूं तो

बहते हैं आँसूं तो मुस्कुराता हूँ मैं यूँ भी तो तेरी यादें बाहर आए कभी…

उम्र ने तलाशी ली

उम्र ने तलाशी ली, तो जेबों से लम्हे बरामद हुए ; कुछ ग़म के, कुछ नम थे, कुछ टूटे, कुछ सही सलामत थे.

जो क़िस्सा था

जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ… वो था शहर भर को सुनाया हुआ…

अजीब सा ज़ायका है

अजीब सा ज़ायका है तेरा जिन्दगी जीभ पर लगती नहीं कि झट स्वाद बदल लेती है ।।

लुटा के हर चीज़

लुटा के हर चीज़ मंजिल ऐ इश्क़ की राह में !! हंस पड़ा हूँ मैं आज खुद को बर्बाद देख के !!

आज यह कैसी उदासी

आज यह कैसी उदासी छाई है, तन्हाई के बादल से भीगी जुदाई है, टूट के रोया है फिर मेरा दिल, जाने आज किसकी याद आई है।

मेरी ज़िन्दगी को

मेरी ज़िन्दगी को जब मैं करीब से देखता हूँ किसी इमारत को खड़ा गरीब सा देखता हूँ आइने के सामने तब मैं आइने रखकर कहीं नहीं के सामने फिर कुछ नहीं देखता हूँ|

नींद तो आने को थी

नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा|

नफरत ही करनी है तो

मुझसे नफरत ही करनी है तो,इरादे मजबूत रखना।। जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जायेगी|

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