बचा न कहने को

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई|

मेरी ज़िन्दगी को

मेरी ज़िन्दगी को जब मैं करीब से देखता हूँ किसी इमारत को खड़ा गरीब सा देखता हूँ आइने के सामने तब मैं आइने रखकर कहीं नहीं के सामने फिर कुछ नहीं देखता हूँ|

नींद तो आने को थी

नींद तो आने को थी पर दिल पुराने किस्से ले बैठा अब खुद को बे-वक़्त सुलाने में कुछ वक़्त लगेगा|

नफरत ही करनी है तो

मुझसे नफरत ही करनी है तो,इरादे मजबूत रखना।। जरा सा भी चुके तो मोहब्बत हो जायेगी|

मीठी सी तन्हाई है

जब से तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगायी है मीठा सा ग़म है, और मीठी सी तन्हाई है|

पता नहीं होश में हूँ

पता नहीं होश में हूँ या बेहोश हूँ मैं, पर बहोत सोच समझकर खामोश हूँ मैं…

बहुत अन्दर तक

बहुत अन्दर तक तबाही मचाता है….. . . वो आंसू जो आँखों से ‘बह’ नहीं पाता है ….!!!

ना जाने कौन हैं

ना जाने कौन हैं वो…. जिसकी तलाश मे मेरी हर सांस रहती है..!!

ख़ौफ़ उन्हें होता है

शतरंज की चालों का ख़ौफ़ उन्हें होता है, जो सियासत करते हैं, हम तो मोहब्बत के खिलाड़ी हैं, न हार की फिक्र, न जीत का जिक्र।

सब लोग अपने

सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को साथ लाए थे, एक हम ऐसे थे कि जिस का कोई ख़ुदा ही न था।

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